पीनियल ग्रंथी -मेलाटोनिन हार्मोन
-मेलाटोनिन हार्मोन दिमाग में स्वतः स्त्रावित होता है ,और चैन की नींद देता है ।
-अगर इस हार्मोन का स्त्राव भरपूर न हो, तो नींद न आने की समस्या होती है ।
- सुबह की शानदार शुरुआत तभी हो सकती है, जब रात को चैन भरी नींद आये ।
- अनियमित दिनचर्या, तनाव और अवसाद से इस का स्त्राव कम हो जाता है, जिस से नींद दूर हो जाती है ।
-नींद अच्छी नहीं आती है, तो दिनचर्या को बदलें, समय का पालन करें, और कुछ दिन तकनीक से दूर रहें । नियमित व्यायाम करें ,और स्वस्थ खानपान अपनाये ।
-मधुमेह, डिपरेशन, उच्च व निम्न रक्तचाप , रक्त के थक्के एवम मिरगी के दौरो में, मेलाटोनिन हार्मोन से आराम मिलता है ।
-बुरे सपने आते है तो मेलाटोनिन सप्लीमेंट लें ।
-उदास मन,चिड़चिड़ापन, पुरुषों मे स्तन वृद्घि तथा प्रजनन सम्बन्धी कमियों का मूल कारण मेलाटोनिन हार्मोन की कमी है ।
-पीनियल ग्रंथि में विशेष प्रकार की कोशिकये होती हैं, जो मेलाटोनिन हार्मोन पैदा करती हैं।
-ऐसी ही कोशिकाएं आंख की रेटिंना ,और शरीर की दूसरी त्वचा मे भी पाई जाती हैं ।
- सभी रोगों और दुखों का मूल कारण मेलाटोनिन हार्मोन की कमी है ।
-जब व्यक्ति बहुत थका हुआ हो, किसी कारण से उसका मन टूटा हुआ हो, परेशान हो, कोई घातक रोग हो, भयानक पीड़ा हो, या चीर फाड़ का कार्य करना हो, तो रोगी को ऐसी दवाई देते हैं, जिस से उसे नींद आ जाये I इस से एक फायदा तो यह होता है, कि रोगी को कष्ट नहीं होता, दूसरा यह कि नींद मे मेलाटोनिन हार्मोन पैदा होता है, जो रोगों को ठीक करता है ।
-आज मानव निर्मित मेलाटोनिन हार्मोन ,और सप्लीमेंट्स भी उपलब्ध हैं । ये फायदेमंद तो हैं परंतु डाक्टर की देख रेख में ही लेने चाहिये, क्योंकि इन के बुरे प्रभाव होते हैं ।
-कोई भी शारीरिक, मानसिक वा आध्यात्मिक पीड़ा है, तो समझ लो मेलाटोनिन हार्मोन में कमी आ गई है । जिस की प्राप्ति का सहज उपाय है, भरपूर गहरी नींद लें ।
-एक और आसान तरीका यह है, कि मन में दूसरों के प्रति चीटिंग के विचार त्याग दें । चीटिंग के विचार इस हार्मोन में बाधक बन जाते हैं ।
-बहुत लोग छोटी छोटी बातों पर झूट बोलते रहते हैं । अन्दर कुछ बाहर कुछ होते हैं । ऐसे जब झूट बोलते हैं, तो मन में बुरा बुरा महसूस होता है । ऐसे ही और कोई भी संकल्प, बोल वा कर्म करने से अगर बुरा बुरा लगे, तो समझो आप में मेलाटोनिन हार्मोन का निर्माण कम हो रहा है और आप को रोग लगेगा ही ।
-ऐसा कोई भी संकल्प, बोल व कर्म जिस से आप को अच्छा अच्छा लगे, तब समझो आप में मेलाटोनिन हार्मोन का निर्माण हो रहा है ।
-जब भी आप नींद करें तो एक दम गुप अँधेरे मे सोया करें । दिन में भी जब सोना हो तो कोशिश किया करें कि गुप अंधेरा हो । इस हार्मोन का निर्माण अंधेरे मे होता है ।
-हमारी आंखे मन की डायरेक्ट कर्म इन्द्रिय है । आंखे मन का स्थूल रुप है । विचार सूक्ष्म शक्ति है, वह दिखाई नहीं देते ।
-मनुष्य की आंखो को पढ़ो, तो उसका दिमाग पढ़ा जाता है ।
-किसी मनुष्य के बारेमें गहरी जानकारी लेनी हो, तो उसका सिर्फ चेहरा, और चेहरे मे भी सिर्फ आंखे भर देखनी है ।
-व्यक्ति का मुख और आंखे उसके अवचेतन मन को दर्शाते है । यह अवचेतन मन का दर्पण है, और दर्पण मे सब दिखता है ।
-मनुष्य मन में हर घड़ी पैंतरे बदलता है। यह बदलाहट पहले आंखो मे दिखाई देती है ।
-जब हम किसी को देखते हैं, तो संकल्प प्रकाश का रुप धारण कर लेते हैं, और उस व्यक्ति को प्रभावित करते हैं, तथा दूसरा व्यक्ति जब हमें देखता है, तो उनकी आँखो से निकला हुआ प्रकाश हमें प्रभावित करता है, अर्थात हम एक दूसरे के प्रति क्या सोच रहे हैं, वह महसूस करते हैं । अगर गलत सोचते हैं, तो एक दूसरे की शक्ति नष्ट करते हैं, यदि अच्छा सोचते हैं, तो एक दूसरे की शक्ति बढ़ती है ।
-हम सारे दिन मे भिन्न भिन्न काम करते हैं, काम करवाते है, मुख से अपने विचार दूसरे को बताते है, और कानो द्वारा सुनते है। वास्तव मे यह सब करते हुये अपने विचार आंखो द्वारा भी भेज रहे होते हैं । यही कारण है, जब हमारे मन मे खोट होता है, तो दूसरो से आंख छिपा कर बात करते हैं।
-स्थूल आँखे कुछ दूरी तक देख सकती हैं । दूरबीन से और ज्यादा दूर देख सकती हैं। सूक्ष्म लोक में क्या हो रहा है, यह नहीं देख सकती । दूसरे कमरे में क्या हो रहा है, शहर के दूसरे कोने में क्या हो रहा है, नहीं देख सकते, दूसरे देशों में क्या हो रहा है नहीं देख सकते ।
-महा भारत के युध्द के समय, संजय घर बैठे बैठे युध्द का हाल सुनाता रहा । कहते हैं यह सब दिव्य दृष्टि के कारण था । यह दिव्य दृष्टि का केन्द्र दुनिया के प्रत्येक मनुष्य में है ।
-यह केन्द्र हमारी स्थूल आँखो के मूल में पीनियल ग्रंथि के अन्दर है ।
- हम एक पल में कोलकाता पहुंच जाते है , कभी समुन्दर पर पहुँच जाते हैं, कभी अमेरिका कभी पाकिस्तान पहुँच जाते हैं । योग लगाते समय परमधाम, कभी सूक्ष्म वतन पहुंच जाते हैं, यह सब हर व्यक्ति में स्थित दिव्य दृष्टि के कारण ही हो रहा है ।
- अच्छा वा बुरा मन में जो हम देखते हैं, कल्पना करते हैं, यह सब दिव्य दृष्टि से हम देख रहे होते हैं, और यह सच होता है । परंतु स्थूल आँखो से दिखता नहीं । उसका कारण यह है, कि वह कोशिकाये जो कल्पना मे की गई चीजो को देख सकती हैं, कमजोर हो गई हैं । ये कमजोर कोशिकाये मेलाटोनिन हार्मोन से ठीक होती हैं ।
-मेलाटोनिन हार्मोन अंधेरे मे पैदा होता है, और रात को 12 से 3 बजे के बीच पैदा होता है, और गहरी नींद मे पैदा होता है । प्रकृति ने ऐसी व्यवस्था बना रखी है, इस समय सभी जीव जन्तु वा मनुष्य इस समय ज़रूर सोते है ।
-यह मेलाटोनिन हार्मोन गहरे ध्यान अर्थात योग साधना मे भी पैदा होता है । अगर रात मे 2 बजे योग लगाये, और गहरे अँधेरे मे लगाये तो इस का भरपूर रिसाव होता है ।
-संसार दिव्य दृष्टि के केन्द्र को जागृत करने की विधि खोज रहा है, राज़ योगी भी मेहनत कर रहे हैं । रात को 12 से 3 बजे राजयोग का अभ्यास करने से दिव्य दृष्टि को सहज ही जागृत कर सकते हैं। ऐसे और भी नई नई खोजें हमें करते रहना है तब हमारा, और इस संसार का काया कल्प हो जायेगा ।
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