आज्ञा चक्र पीनियल ग्रंथि -पीनियल ग्रन्थि सारे शरीर की सरदार ग्रन्थि है ।- इस में आत्मा निवास करती है । - इसे ही तीसरा नेत्र या आज्ञा चक्र या तिरकुटी कहते हैं ।-आत्मा का रुप अति सूक्ष्म है । -परंतु आत्मा के अन्दर एक विशाल समुन्द्र जितना फैलाव है ।-आत्मा सिर के बाल की नोक के दस हजारवे हिस्से के बराबर है । इसे स्थूल आंखो से नही देख सकते । ये पाँच तत्वों की पकड़ में नहीं आती । - आत्मा का रुप आकाश में चमकते सितारे के समान है, सफेद है ।-जैसे दस क्विंटल रूई का विस्तार बहुत होता है, परंतु विज्ञान की सहायता से उसका एक छोटा सा गठर बना दिया जाता है । ऐसे ही समुन्द्र जितनी विशाल आत्मा का ईश्वर ने बहुत छोटा सा रुप बना दिया है ।-मृत्यु के बाद मनुष्य का 11 ग्राम वजन कम हो जाता है ।-आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है ।-आत्म भी एक तत्व है, जिसे नष्ट नही किया जा सकता ।-आत्मा की शक्ति पदार्थ से अधिक है ।-विश्व में यह एक ही तत्व है, जो देखता है, अनुभव करता है, प्रेम करता है, विचार करता है, क्रिया और प्रति क्रिया करता है ।-आत्मा के मूल गुण शांति, प्रेम, सुख, आनंद एवं ज्ञान है ।-परंतु शरीर में आने के कारण हाथ, पैर, नाक, कान, मुख आदि के द्वारा आत्मा का बल.. संसार में फैलता रहता है । जिस से आत्मा काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार में फँस जाती है, तथा दुखी होती है ।-अगर हम आत्मा का बल जो बाहर बह रहा है, उसे वापिस पीनियल ग्रंथि में लें आये तो फ़िर से सुखी हो जायेगे ।-जब आत्मा इस ग्रंथि में केंद्रित हो जाती है, तो सभी दिव्य ज्ञान ,और रहस्य हल हो जाते है । यहां एकाग्र होने पर आत्मा परमात्म से जुड़ जाती है ।- योग का मतलब और कुछ नही सिर्फ पीनियल ग्रंथी को अकटीवेट करना ही है ।विषय - पीनियल ग्रंथि -मिलाटोनिन हारमोन -पीनियल ग्रंथि सर्व श्रेष्ट ग्रंथि है । सारे शरीर को यह ग्रंथि नियंत्रित करती है । सारे विश्व मे सम्पर्क का नियंत्रण यही से होता है । परमात्मा से मिलन यहीं पर होता है । सुख दुख हमे यहीं पर अनुभव होते हैं ।
-स्थूल जगत और सूक्ष्म जगत के संदेशों का आदान प्रदान यहीं से होता है ।
-इस ग्रंथि के अन्दर एक रेत के कण के समान चमकीला पदार्थ है, जिसे आत्मा कहते हैं। यही अकाल तख्त है । अजर अमर अविनाशी आत्मा का निवास होने के कारण इसे अकाल तख्त कहते हैं ।
-पीनियल ग्रंथि मेलाटोनिन नामक हारमोन पैदा करती है । मेलाटोनिन प्राकृतिक शक्तिशाली एंटी आक्सीडेंट है ।
- पुराने समय में संतों ने काया कल्प नाम का एक रसायन खोज रखा था । उस रसायन से बूढे जवान बने रहते थे । वह रसायन और कुछ नहीं यही मेलाटोनिन हारमोन ही था । इस से कैंसर तक का इलाज किया जा सकता है ।
-यह हारमोन नींद मे पैदा होता है, जिस से सारे शरीर की मुरम्म्त होती है, और हम सुबह उठते हैं, तो तरोताजा होते हैं ।
-यह अंधेरे में पैदा होता है, उजाले में नहीं, यही कारण है, कि जब हम सोते हैं तो रोशनी बंद कर के सोते हैं। इसलिये प्रकृति ने रात बना रखी है, ताकि हम आराम करने के लिये मजबूर हो जाये ,और हमे यह हारमोन मिलता रहे ।
-इस हारमोन का निर्माण ध्यान लगाने से भी होता है, और रात को 12 से 3 बजे के बीच होता है । सबसे ज्यादा स्त्राव 2 बजे होता है । इस समय ध्यान अंधेरे मे लगाना चाहिये, क्योंकि अंधेरे मे इस का रसाव बहुत ज्यादा होता है !रोशनी में इस का उत्पादन बाधित होता है । यही कारण है लोग जब आंखे बंद कर के ध्यान लगाते हैं, तो उन्हे बहुत अच्छा लगता है । साधक प्रायः बंद आँखो से ध्यान का अभ्यास करते हैं ।
-जितना गहरा ध्यान होगा उतना ही मेलाटोनिन हारमोन का निर्माण होगा । व्यक्ति निरोगी बनता जायेगा । तभी कहते है, ध्यान सब बीमारियों का इलाज है । 6 घंटे अगर हम लगातार ध्यान में बैठे तो एक बूंद अमृत रस की हमारे दिमाग से निकलती है, जो शरीर को रोग मुक्त कर देती है, और हमे अतिइन्द्रिय सुख की अनुभूति होती है । कुछ लोगो को मीठे मीठे करंट की अनुभूति होती है, और यह ऐसा करंट होता है जो वर्णन नहीं कर सकते । इस करंट की कमी के कारण प्रत्येक व्यक्ति जीवन मे एक सुनापन सा महसूस करता है ,अतृप्ती सी बनी रहती है । यह सुखद अनुभूति मेलाटोनिन हारमोन के कारण होती है ।
-गहरी नींद से जो हमे सकून सा महसूस होता है, वह इस हारमोन के कारण ही होता है । प्रत्येक व्यक्ति वा कोई भी जीवित प्राणी इसी लिये नींद चाहता है ।
-इस हारमोन के कारण हमारा शरीर बनता है । इसी लिये छोटे बच्चे 16 से 17 घंटे सोते है । बड़ा होने पर भी 6 घंटे की नींद ज़रूरी होती है ।
-मेलाटोनिन का अधिकतम स्त्राव बचपन मे होता है । 11 से 14 वर्ष की आयु मे मेलाटोनिन मे गिरावट शुरू हो जाती है । महत्ववपूर्ण कमी रजोनिवर्ति के साथ शुरू हो जाती है ।
पीनियल ग्रंथि -मेलाटोनिन - आंखे 👀
-ऐसी कोशिकाये जिन से मेलाटोनिन हार्मोन पैदा होता है, वह पीनियल ग्रंथि में पायी जाती हैँ ।
-ऐसी ही कोशिकाये आँखो के अन्दर, और शरीर के विभिन्न अंगो में भी पाई जाती हैं ।
-आंखो का मन से डायरेक्ट कनेक्शन है। जो कुछ मन मे होता है वह सब आंखो में तैरता रहता है, और जो आंखो में होता है, वह मन में चलने लगता है। आंखो से हम जो कुछ देखते हैं, वह उन कोशिकायो जिन से मेलाटोनिन हार्मोन पैदा होता है, उन पर अच्छा व बुरा प्रभाव होता है । कोई बुरा दृश्य देख लें तो नींद नहीं आती । आंखो पर अगर हम नियंत्रण कर लें ,तो मन को सहज नियंत्रित कर सकते हैं ।
- रैम्प पर चलते हुये मॉडेल्स को देखते हुये, TV देखते हुये हम आमतौर पर पलके नहीं झपकते ।
-जब आप पलकें झपकते है, तो दिमाग का कुछ् हिस्सा काम करना बंद कर देता है । धीरे धीरे दिमाग डल हो जाता है । डल दिमाग को ठीक करना आसान नहीं है ।
-जब हमे अपनी कला और एकाग्रता का प्रदर्शन करना हो, तब तो पलकें झपकाना कम कर देते हैं ।
-हम प्रति मिनिट 7 से 8 बार पलकें झपकते हैं । पलकें झपकाने से आंखे तो नम रहती हैं, परंतु दिमाग का कुछ हिस्सा अवरुद्ध हो जाता है, सुन्न हो जाता है ।
-खास काम करते समय हम आँखो को खुला रखने का प्रयास करते हैं ।
-प्रायः कहा जाता है आंखे बोलती हैं । बोलने का मतलब है, हम जिस भाव से दूसरे को देखते हैं, उस में कोई मतलब छुपा होता है, जिसे मन समझ जाता है।
-किसी को प्यार से देखते हैं, तो आँखो में ख़ास चमक होती है ।
-सरसरी नज़र से देखते हैं, तो इस का मतलब होता है, हम उस आदमी को कोई अहमियत नहीं देते ।
-घूर कर देखते हैं, तो इसका कोई खास मतलब होता है । घूर कर देखना माना बिना शब्दों के ,न जाने कितनी बातें सामने वाले को सुना देते हैं। घूर कर देखना अपने आप मे एक काम होता है ।
-पारखी नज़र से छुपी हुई बहुत सी चीजे नज़र आ जाती हैं, जो आमतौर पर दिखाई नहीं देती । हमारा वजूद हरेक चीज़ को, गौर से देखने की वजह से है ।
-घूर कर देखने से छिपी बारीकियों का अंदाजा हो जाता है ।
-घूर कर देखने का मतलब है, उन्हे ध्यान से देखना अर्थात देखना भी एक काम है । जब हम घूर रहे होते हैं, तो उस समय पलकों का झपकना रुक जाता है ।
-जब हम किसी को भी देखते हैं, तो उस समय ध्यान रखो कैसे विचार उठ रहे हैं ।
-देखते समय मन में अपनेपन का भाव जितना मजबूत होगा, उतना ही मेलाटोनिन हार्मोन से सम्बन्धित कोशिकाये शक्तिशाली बनती हैं । जिस से नींद बहुत अच्छी आती है । हमे जीवन के सभी क्षेत्रों मे सहयोग प्राप्त होता है ।
-आंखो को नियंत्रित करने का सबसे आसान तरीका है, जीवन के हर काम में आंखों की पुतलियों को कम से कम झपकाना ।
-गहरे ध्यान में भी आंखो का झपकाना बंद या बहुत कम हो जाता है ।
-अगर हम आंखो का झपकाना रोक दें, तो योग जैसी अनुभूति होने लगेगी । एकाग्रता बढ़ने लगेगी ।
-खाना बनाते, खाना खाते, पानी, चाय, दूध आदि पीते या पढ़ते समय या जब कभी निराशा हो, गुस्सा हो, दिल मे हार के विचार आ रहे हों, या किसी बीमारी से परेशान हों तो पलकों के झपकाने पर नियंत्रण करें, आप को सफलता मिलने लगेगी । आप अपने जीवन मे आगे बढ़ सकेगे और अगर योगी है, तो योग मे आनंद आने लगेगा । ओम शांति..
-स्थूल जगत और सूक्ष्म जगत के संदेशों का आदान प्रदान यहीं से होता है ।
-इस ग्रंथि के अन्दर एक रेत के कण के समान चमकीला पदार्थ है, जिसे आत्मा कहते हैं। यही अकाल तख्त है । अजर अमर अविनाशी आत्मा का निवास होने के कारण इसे अकाल तख्त कहते हैं ।
-पीनियल ग्रंथि मेलाटोनिन नामक हारमोन पैदा करती है । मेलाटोनिन प्राकृतिक शक्तिशाली एंटी आक्सीडेंट है ।
- पुराने समय में संतों ने काया कल्प नाम का एक रसायन खोज रखा था । उस रसायन से बूढे जवान बने रहते थे । वह रसायन और कुछ नहीं यही मेलाटोनिन हारमोन ही था । इस से कैंसर तक का इलाज किया जा सकता है ।
-यह हारमोन नींद मे पैदा होता है, जिस से सारे शरीर की मुरम्म्त होती है, और हम सुबह उठते हैं, तो तरोताजा होते हैं ।
-यह अंधेरे में पैदा होता है, उजाले में नहीं, यही कारण है, कि जब हम सोते हैं तो रोशनी बंद कर के सोते हैं। इसलिये प्रकृति ने रात बना रखी है, ताकि हम आराम करने के लिये मजबूर हो जाये ,और हमे यह हारमोन मिलता रहे ।
-इस हारमोन का निर्माण ध्यान लगाने से भी होता है, और रात को 12 से 3 बजे के बीच होता है । सबसे ज्यादा स्त्राव 2 बजे होता है । इस समय ध्यान अंधेरे मे लगाना चाहिये, क्योंकि अंधेरे मे इस का रसाव बहुत ज्यादा होता है !रोशनी में इस का उत्पादन बाधित होता है । यही कारण है लोग जब आंखे बंद कर के ध्यान लगाते हैं, तो उन्हे बहुत अच्छा लगता है । साधक प्रायः बंद आँखो से ध्यान का अभ्यास करते हैं ।
-जितना गहरा ध्यान होगा उतना ही मेलाटोनिन हारमोन का निर्माण होगा । व्यक्ति निरोगी बनता जायेगा । तभी कहते है, ध्यान सब बीमारियों का इलाज है । 6 घंटे अगर हम लगातार ध्यान में बैठे तो एक बूंद अमृत रस की हमारे दिमाग से निकलती है, जो शरीर को रोग मुक्त कर देती है, और हमे अतिइन्द्रिय सुख की अनुभूति होती है । कुछ लोगो को मीठे मीठे करंट की अनुभूति होती है, और यह ऐसा करंट होता है जो वर्णन नहीं कर सकते । इस करंट की कमी के कारण प्रत्येक व्यक्ति जीवन मे एक सुनापन सा महसूस करता है ,अतृप्ती सी बनी रहती है । यह सुखद अनुभूति मेलाटोनिन हारमोन के कारण होती है ।
-गहरी नींद से जो हमे सकून सा महसूस होता है, वह इस हारमोन के कारण ही होता है । प्रत्येक व्यक्ति वा कोई भी जीवित प्राणी इसी लिये नींद चाहता है ।
-इस हारमोन के कारण हमारा शरीर बनता है । इसी लिये छोटे बच्चे 16 से 17 घंटे सोते है । बड़ा होने पर भी 6 घंटे की नींद ज़रूरी होती है ।
-मेलाटोनिन का अधिकतम स्त्राव बचपन मे होता है । 11 से 14 वर्ष की आयु मे मेलाटोनिन मे गिरावट शुरू हो जाती है । महत्ववपूर्ण कमी रजोनिवर्ति के साथ शुरू हो जाती है ।
पीनियल ग्रंथि -मेलाटोनिन - आंखे 👀
-ऐसी कोशिकाये जिन से मेलाटोनिन हार्मोन पैदा होता है, वह पीनियल ग्रंथि में पायी जाती हैँ ।
-ऐसी ही कोशिकाये आँखो के अन्दर, और शरीर के विभिन्न अंगो में भी पाई जाती हैं ।
-आंखो का मन से डायरेक्ट कनेक्शन है। जो कुछ मन मे होता है वह सब आंखो में तैरता रहता है, और जो आंखो में होता है, वह मन में चलने लगता है। आंखो से हम जो कुछ देखते हैं, वह उन कोशिकायो जिन से मेलाटोनिन हार्मोन पैदा होता है, उन पर अच्छा व बुरा प्रभाव होता है । कोई बुरा दृश्य देख लें तो नींद नहीं आती । आंखो पर अगर हम नियंत्रण कर लें ,तो मन को सहज नियंत्रित कर सकते हैं ।
- रैम्प पर चलते हुये मॉडेल्स को देखते हुये, TV देखते हुये हम आमतौर पर पलके नहीं झपकते ।
-जब आप पलकें झपकते है, तो दिमाग का कुछ् हिस्सा काम करना बंद कर देता है । धीरे धीरे दिमाग डल हो जाता है । डल दिमाग को ठीक करना आसान नहीं है ।
-जब हमे अपनी कला और एकाग्रता का प्रदर्शन करना हो, तब तो पलकें झपकाना कम कर देते हैं ।
-हम प्रति मिनिट 7 से 8 बार पलकें झपकते हैं । पलकें झपकाने से आंखे तो नम रहती हैं, परंतु दिमाग का कुछ हिस्सा अवरुद्ध हो जाता है, सुन्न हो जाता है ।
-खास काम करते समय हम आँखो को खुला रखने का प्रयास करते हैं ।
-प्रायः कहा जाता है आंखे बोलती हैं । बोलने का मतलब है, हम जिस भाव से दूसरे को देखते हैं, उस में कोई मतलब छुपा होता है, जिसे मन समझ जाता है।
-किसी को प्यार से देखते हैं, तो आँखो में ख़ास चमक होती है ।
-सरसरी नज़र से देखते हैं, तो इस का मतलब होता है, हम उस आदमी को कोई अहमियत नहीं देते ।
-घूर कर देखते हैं, तो इसका कोई खास मतलब होता है । घूर कर देखना माना बिना शब्दों के ,न जाने कितनी बातें सामने वाले को सुना देते हैं। घूर कर देखना अपने आप मे एक काम होता है ।
-पारखी नज़र से छुपी हुई बहुत सी चीजे नज़र आ जाती हैं, जो आमतौर पर दिखाई नहीं देती । हमारा वजूद हरेक चीज़ को, गौर से देखने की वजह से है ।
-घूर कर देखने से छिपी बारीकियों का अंदाजा हो जाता है ।
-घूर कर देखने का मतलब है, उन्हे ध्यान से देखना अर्थात देखना भी एक काम है । जब हम घूर रहे होते हैं, तो उस समय पलकों का झपकना रुक जाता है ।
-जब हम किसी को भी देखते हैं, तो उस समय ध्यान रखो कैसे विचार उठ रहे हैं ।
-देखते समय मन में अपनेपन का भाव जितना मजबूत होगा, उतना ही मेलाटोनिन हार्मोन से सम्बन्धित कोशिकाये शक्तिशाली बनती हैं । जिस से नींद बहुत अच्छी आती है । हमे जीवन के सभी क्षेत्रों मे सहयोग प्राप्त होता है ।
-आंखो को नियंत्रित करने का सबसे आसान तरीका है, जीवन के हर काम में आंखों की पुतलियों को कम से कम झपकाना ।
-गहरे ध्यान में भी आंखो का झपकाना बंद या बहुत कम हो जाता है ।
-अगर हम आंखो का झपकाना रोक दें, तो योग जैसी अनुभूति होने लगेगी । एकाग्रता बढ़ने लगेगी ।
-खाना बनाते, खाना खाते, पानी, चाय, दूध आदि पीते या पढ़ते समय या जब कभी निराशा हो, गुस्सा हो, दिल मे हार के विचार आ रहे हों, या किसी बीमारी से परेशान हों तो पलकों के झपकाने पर नियंत्रण करें, आप को सफलता मिलने लगेगी । आप अपने जीवन मे आगे बढ़ सकेगे और अगर योगी है, तो योग मे आनंद आने लगेगा । ओम शांति..
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