कल्पना का प्रभाव और महत्व क्या है?

कल्पना का प्रभाव 

-जब हम बच्चे होते है तॊ हमारा मस्तिष्क एक कोरे कागज क़ी  तरह  होता है । 

-जैसे जैसे हमें आसपास का महौल मिलता है वैसे ही हमारे विचार बनते जाते है, उसी अनुसार हम कल्पना करने लगते हैं  । 

-कल्पना मेंं जो हम सोचते हैं एक मजेदार  दुनिया है  । 

-कल्पना मेंं समय ठहर जाता हैं । 

-दो स्नेही जब मिलते हैं तॊ पल भर मेंं न जाने कहां से कहां  पहुंच जाते हैं ।  कई  घंटे भी ऐसे लगते हैं जैसे अभी कुछ ही मिनिट हुए हैं । 

-राजयोग जब गहरा होता है तॊ 3 घंटे ऐसे लगते जैसे  40 मिनिट हुए है । 

-गीत संगीत मेंं भी हमें समय बीत जाने का आभास ही नहीं होता । 

-जब एक लक्ष्य या एक दुनिया सपनो मेंं बसा लेते हैं तॊ उसके आधार से महान काव्य लिखे गये और कई आविष्कार हुए । 

-प्रत्येक व्यक्ति क़ी कल्पना अलग अलग होती है ।  

-आप के वर्तमान हालात चाहे कैसे हो कल्पना सदैव अच्छी रखो !

-आप को प्राप्ति आप की कल्पना के अनुसार होगी !

-कवि लोग  बचपन मेंं ही कल्पना कर के  कविता  मेंं डूबे रहते हैं । 

-अधिक कल्पना करना भी जीवन मेंं मुसीबत पैदा कर देता है । 

-हम जो भी कल्पना करते हैं, वह अवचेतन मन मेंं रेकॉर्ड होती रहती है  । 

-कल्पना क्यो,  कहां से आती है,  कौन सी इसके पीछे रसायनिक क्रिया है,  यह अभी तक पता नहीं चल पाया है । 

-जब भी इंसान अकेला  होता हैं, तॊ वह कल्पना क़ी जादुई दुनिया मेंं खो जाता है । 

-मनुष्य असली जीवन मेंं जो नहीं कर पाता, वह अपनी कल्पना क़ी  दूनिया  मेंं करता है । 

-कल्पना से प्रेरणा ले  कर  वह उसे असली दूनिया मेंं  करने का प्रयास करता है  । 

-कल्पना शक्ति  हमारे कुछ कर पाने वाले ,और कुछ न कर पाने वाले तनाव को संतुलित करती है । 

-कल्पना साकारात्मक,  नकारात्मक और नुकसानदायी भी होती है । 

-कल्पना वही अच्छी है, जिस से तनाव कम हो जाए ।  अगर दुःख बढ़ता है ,तॊ वह कल्पना अच्छी नही है । 

-हीन भावना और कुछ नहीं नकारात्मक कल्पना है । 

-ज्ञान विज्ञान और कल्पना का रिश्ता बहुत करीबी है । 

-किसी भी  विषय मेंं तीव्र कल्पना रचनात्मक दिशा  देने मेंं मददगार सिद्व होती है । 

- जीवन मे आप क्या चाहते है, उसे कल्पना में हर रोज एक बार दोहराना भर  है !

कल्पना का महत्व 


-प्रत्येक व्यक्ति  हर पल कल्पना करता रहता है । 

-घूमने फिरने के  लिये आबू कब जाएंगे,  कन्याकुमारी कब और कैसे जाएंगे । 

--सर्दी  और गर्मी में कौन से जूते व कपड़े पहनेंगे । 

-हम अपने बच्चों को वकील,  डॉक्टर,  इंजिनीयर या व्यापारी बनाएंगे । 

-लक्ष्य अनुसार हम पढ़ाई या अन्य तैयारी  करते हैं । 

-ये सब कार्य हम मन में पहले सोचते हैं  । 

-इसी सोच को कल्पना कहते हैं  । 

-हम सभी तन,  मन,  धन व संबंधो के बारे कल्पना करते रहते हैं  । 

-यह जो संसार में मकान,  दुकान,  मोटर कार,  वायुयान व अन्य चीजे देखते  हैं  यह  सब एक समय किसी न किसी ने कल्पना की थी । 

-प्रत्येक व्यक्ति अपने मनचाहे  लक्ष्य प्राप्त कर सकता है । 

-सिर्फ उस काम के बारे कल्पना में देखता रहे और उसे धरातल पर किस तरह  लाना है उस विधि से कार्य करें । 

-कल्पना तॊ सभी करते हैं  परन्तु उसे हकीकत का रूप कोइ कोइ दे  पाता है । 

-कभी कोइ  लेखक या व्यक्ति जो सोचता  है,  उसे शब्दो में प्रकट नहीं कर पाते तब  इसे  राइटर्स ब्लॉक कहते हैं  । 

-कल्पना के सहारे  हम वह काम कर जाते हैं  जो हम वास्तविक जीवन में कभी नहीं कर पाते । 

-कल्पना शक्ति हमारे कुछ कर पाने या कुछ न कर पाने के  तनाव को संतुलित रखती है । 

-प्राकृति ने शरीर से बेकार चीजे बाहर निकालने के   लिये कोइ न  कोइ रास्ता बना  रखा है । 

-ऐसे ही कल्पना से हम मन की हर बुरी चीज को बाहर फेंक सकते हैं  । 

-कल्पना रचनात्मक भी होती है और नकारात्मक भी होती है । कल्पना से लोगो का भला और नुकसान भी कर सकते हैं । 

-कल्पना उतनी ही हो जो मन को तनाव न  हो ।  ज्यादा कल्पना से मन में तनाव हो जाता है !

-जब हम कल्पित कार्यो को पूरा नहीं कर पाते हैं  तॊ वह मनोविकार  का रूप धारण कर लेते हैं  ।  जिस से मनुष्य में हीन भावना आ जाती है और जिंदगी  प्राभावित होने लगती है । 

-आप जो भी बनना चाहते हैं  कल्पना में  ही देखते रहें । 

-इसलिए परिस्थिति चाहे  कैसी हो  कल्पना में हमेशा अच्छी चीजे ही देखते रहना है । 

-आप अगर बुद्विवान बनना चाहते हैं कि तॊ परी  लोक की कहानियां  पढ़ा करो । 

-आप अपने बच्चों को प्रतिभाशाली बनाना चाहते है तॊ उन्हे भी परीलोक की बुक्स पढ़ने को दो । 

-इस से मनुष्य की बुद्वि  विकसित हो जाती  है जो निर्माण कार्य करती है । 

-परमात्मा शिव  कें बिंदु रूप को कल्पना में देखते हुए उसके गुणो का सिमरन  करते  रहो भगवान की सारी शक्तियां आप में आ जाएगी ।


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