आज का अनमोल ज्ञान

आज का अनमोल ज्ञान

आज का अनमोल ज्ञान

 *वैश्विक आर्थिक मंदी में भी मेरा जॉब/ बिजनेस सेफ हैं।*  (पूरा जरूर पढ़ें )

कोरोना महामारी के कारण समस्त विश्व में रोजगार का भी महासंकट सामने आया है। ऐसे में हम परमात्मा पिता की संतानों को दुनिया वालों की तरह नेगेटिव नही सोचना हैं। हमें बार बार मन बुद्धि द्वारा यही विजन देखना है की मेरा जॉब एकदम *सेफ* है।  मेरे दुकान पर ग्राहकों की भीड़ जमा हो गयी है। मेरा बिजनेस और ही ज्यादा रफ्तार से बढ़ रहा है। आपके यह संकल्पों की तरंगें प्रकृति को मिलेगी और प्रकृति वैसे ही परिस्थितियां लाने में सहयोगी बनेगी। 

किसी प्रकार से मैं ग्राहकों से ज्यादा से ज्यादा धन कमाऊं यह सोचने के बदले कैसे मैं अपने ग्राहकों को बेहतर से बेहतर सर्विस दे सकू, ग्राहक की जगह आपका पक्का दोस्त होता तो आप उसको कैसे सलाह देते, कैसे सलाह देते वैसे ही अपने ग्राहकों से व्यवहार करना है। मैं कैसे अपने ग्राहकों का अधिक से अधिक लाभ करा सकू इसपर हमारा मुख्य फोकस होना चाहिए क्यों की अच्छी सर्विस देने वाले का प्रचार उसके ग्राहक खुद करते है।

अगर आपकी आर्थिक परिस्थिति अच्छी है तो किसी बेरोजगार या गरीब परिवार को राशन या जीवनावश्यक वस्तुओं का दान करें। घर पर मास्क बना बनाकर गरीबों में बाटे। सब्जी या घरेलू सामान बड़े मॉल से लेने के बदले छोटे दुकानों से या सड़क पर ठेलागाड़ी पर सब्जी बेचने वालों से खरीदे ताकी अपना पेट पालने के लिए उनपर चोरी चकारी करने की नोबत ना आ जाए।

ज्ञान, योग, तपस्या तथा सेंटर से किनारा करके, चिंता में डूबकर अगर हम सिर्फ स्थूल धन कमाने के पीछे लग पड़ेंगे तो परमात्मा का सहयोग प्राप्त नही हो पाएगा इसलिए प्रतिकूल परिस्थिति में भी हमें संशय बुद्धि बनकर या भगवान से नाराज होकर ज्ञान योग छोड़ना नही हैं। 

जो ब्राह्मण आत्मा ईश्वरीय ज्ञान, गुण, शक्तियों तथा दुआओं रूपी *गुप्त धन* से सदा भरपूर रहती है उस आत्मा को कभी भी स्थूल धन की कमी नही होगी।

जीवन में जिस भी चीज की कमी हैं उसका दान करने से वो कई गुणा बढ़कर आपके पास आएगी।


वर्तमान में हमारे पास जिस भी चीज की कमी हैं उसका अगर हम यथासंभव दान करेंगे तो वो *ऑटोमेटिकली कई गुणा होकर हमारे पास वापस आएगी*। आज नही तो कल, एक वर्ष बाद या अगले जन्म में वो चीज कई गुणा होकर हमें वो रिटर्न मिलती जरूर हैं। जिस गुण, विशेषता को हमें बढ़ाना है उस विशेषता को ईश्वरीय सेवाओं में लगाने से *जो ईश्वर अर्थ वो समर्थ बन जाती हैं।

अगर आपमे ज्ञान की कमी हैं, उच्चारण स्पष्ट नही हैं तो यह ईश्वरीय ज्ञान सुनाने की प्रेक्टिस करनी हैं। इससे आपको *वाकसिद्धि* प्राप्त हो जाएगी। जीवन में बहुत ज्यादा *भोगनाए* हैं तो *सेंटर पर शिवबाबा को भोग लगाने से भोगनाए खत्म* हो जाती हैं इसके साथ ही जब सच्चे और पवित्र ब्राह्मण आत्माए इस भोग को खाएंगी तो उनकी दुआओं से भी आपके भोग कम हो जाएंगे।

तन ठीक ठाक नही हैं तो यथाशक्ति ईश्वरीय सेवाओं में अपने तन को लगाने से तन से जुड़ी कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं। अगर स्थूल धन की कमी हैं तो ईश्वरीय *सूक्ष्म गुप्त ज्ञानधन का दान* करें तथा ईश्वरीय कार्यों में यथाशक्ति अपना स्थूल धन सफल करें तो स्थूल धन की भी कभी कमी नही होगी।

जीवन में शांति की कमी हैं तो *शांतिसागर शिवबाबा के साथ कंबाइंड होकर विश्व की सभी अशांत आत्माओं को शांति का दान* देना हैं तो ऑटोमेटिकली आपको भी शांति प्राप्त होगी।  *संकल्प , स्वप्न, दृष्टि, वृत्ति आदि में पवित्रता की कमी* हैं तो आते जाते सभी को आत्मा देखकर *पवित्रता के शक्तिशाली वायब्रेशन* का दान देना हैं इससे आपकी पवित्रता भी बढ़ेगी।

जो चीज हम देते हैं फिर वो अच्छी हो या बुरी वह चीज कई गुणा बढ़कर रिटर्न हमारे पास आती ही आती यह प्रकृति का लॉ (कानून) हैं। इसलिए बताया कि जीवन में जिस भी चीज की कमी हैं उसका दान करने से वो कई *गुणा (Multiply)* होकर हमारे पास आती हैं।

हर रोज नया नया वरायटी भोजन खाओ

जैसे हम शरीर के लिए जो भोजन खाते है उसमे जैसे एक ही प्रकार की सब्जी या एक ही प्रकार का भोजन खाना पसंद नही करते है, हर रोज कुछ अगर खाना पसंद करते है वैसे ही हमारे मन, बुद्धि  को भी हर रोज भिन्न भिन्न प्रकार का भोजन चाहिए होता है।

कई भाई बहनें सालों साल योग की एक ही रटी रटाई कॉमेंट्री पर नेमिनाथ की तरह योग करते रहते है इससे ना तो कोई उमंग आता है और ना योग में सुख मिलता है।

ब्राह्मण योगी लाइफ मजबूरी की लाइफ नही है बल्कि *हर पल इंजॉय* करने की लाइफ है। इसलिए हमें हर रोज कुछ नया प्रयोग, कुछ नया अनुभव करना है। शिवबाबा को हर रोज अलग अलग *विधि* से, अलग अलग *संबंध* से, अलग अलग *योग की कॉमेंट्री* से याद करना है। आज जिस विधि से योगाभ्यास किया उसे *कल बिल्कुल रिपीट नही करना* है। कल कुछ और विधि ट्राय करनी है।

मुरली पढ़ने या सुनने का तरीका, चार्ट लिखने का तरीका, बदलते रहना है। वरिष्ठ भाई बहनों की योग पर आधारित किताबे, कॉमेंट्री'ज, सुननी, पढ़नी हैं, इससे आपको सहयोग प्राप्त होगा। हर रोज बाबा के गीत लगाकर 5 - 10 मिनिट शरीर से या मन से डांस करना जरूर चाहिए। जैसे हम *मोबाइल के ऍप्स अपडेट* करते है वैसे अपने योग, पुरुषार्थ के तरीके को, ऑफिस में काम करने के तरीके को हमेशा अपडेट करते रहना है।

आपके घर वालों, पड़ोसियों, ऑफिस के साथियों तथा सेंटर के भाई बहनों को हर रोज आपमे कुछ नया पन अनुभव होना चाहिए। *ब्राह्मण लाईफ में सदा जीवित रहने के लिए* और तंदुरुस्त रहने के लिए ऐसे रोज वरायटी भोजन खाते रहना है और खिलाते रहना है।

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