आज का विषय- आदेश

आदेश


जीवन में  प्रत्येक व्यक्ति  दूसरे व्यक्ति से अपनी इच्छा अनुसार कार्य  करवाता  है  जिसे  आदेश कहते है । 

 हम जीवन में एक दूसरे को आदेश देते हैं  और इस   आदेश का प्रभाव भी  पड़ता  है,  जिसे व्यक्ति   मानता  है और बदलता है । मनुष्य गीली मिटी  के समान  है । उसे जैसा चाहे  वैसा ढाला जा सकता  है । 

छोटा बच्चा जिन लोगों द्वारा  पाला  पोसा जाता  है, उन्हीं  की भाषा सीखता  है,  वैसे ही आचरण,  व्यवहार और विचार  ग्रहण करता है । 

 स्वीपर का बच्चा  गंदगी से नफरत नहीं करता और स्वर्ण जाती  के बच्चे गंदगी से नफरत करते है ।  कारण यह है कि  स्वीपर  गंदगी से नफरत नहीं करते तो उनके बच्चे उन से सीख कर गंदगी से नफरत नहीं करते । 

 स्वर्ण जाती  के लोग गंदगी से नफरत करते है इसलिये उनके बच्चे भी नफरत करते हैं । मनुष्य का निर्माण आदेशों के सांचे में ही होता है । 

जो जिस वातावरण,  विचार और परिस्थितियो में पड़ा है वह उसी प्रकार  ढल जाता  है । मनुष्य कोरे कागज की तरह  है उस पर जैसा अंकन होता है,  वैसा ही वह बन जाता  है । 

 जो लोग हमारे  आदर्श है अगर वह दिल के अच्छे नहीं है तो आप  के दिल में भी खोट रहेगा । 

 अगर वह वहमी  है , शकी है,  निंदक है,  झूठे है,  आलसी है तो यह अवगुण थोड़े बहुत आप में भी झलकेगे ।  लगभग अंदर से  वैसे ही बनेंगे । 

 जो लोग तुम्हें पुचकारते है़,  प्यार करते है़,  आगे बढ़ाते है़,  ढांडस देते है़, जिनके बोल आप को उत्साहित करते   है़,  ये अच्छे आदेश हैं  ।  ऐसे लोगों के संपर्क मेंं रहने से आप का उत्थान होगा ।

आज संसार दुखी है बदल नहीं रहा उसका कारण  यह है कि  जो हमारें आदर्श व्यक्ति है या जिनके सहारे  हम जी रहे  है वह अंदर से नहीं बदल रहे  है ।  

नौकर को पता है कि  उसका मालिक  क्या है ।  बहिनों को पता है कि उनके जीवन साथी कैसे हैंं । नजदीकी लोगों को पता  है कि  उसका ऑफिसर कैसा है ।  ये लोग दुनिया के सामने  बहुत  अच्छा बोलते हैं,  समाज  को दिशा देते है परंतु नजदीकी लोगों का  उत्पीड़न  करते हैं ।  इस लिये संसार दुखी है क्योंकि हम सब का   भी कोई ना कोई बॉस है,  आदर्श है या किसी के सहारे जी रहे  है और वह अपने संकल्पों और व्यवहार से परेशान  कर रहे  है । 

आप के साथ चाहे  कैसा व्यवहार हो रहा  है उस से सीख लो हम ऐसा बुरा  व्यवहार अपने पर निर्भर और नजदीकी लोग जो हमारे  लिये काम  करते है,  हमारे  लिये उन्होंने अपना जीवन लगा रखा  है,  उनके प्रति दयालु बनेंगे,   उनसे शानदार व्यवहार करेंगे  और प्यार  करेंगे  तो आप अंजाने में ही दुनिया को स्वर्ग बना देंगे । 

आप से दुनिया  प्रभावित  होगी । आप का हर आदेश हर आज्ञा सिर माथे  होगी । इस प्रभाव  की शक्ति अढ्भुत है । 
बिना मुंह से बोले आचरण दिखा कर भी प्रभाव  डाला  जा सकता है । 

अगर मन में दूसरों के  प्रति शुध्दता है तो वाणी  का जबरदस्त असर होता है । 

इसलिये जो आप के नजदीक है उनके प्रति अंदर और बाहर अर्थात कथनी करनी एक करो,  उसके लिये स्नेह का भाव  रखो,  चाहे  वह शराबी है,  क्रोधी है,  जिद्दी है,  उसके प्रति मन में दोहराते रहो  आप स्नेही है,  स्नेही है ।

दूसरे के प्रति स्नेह  के संकल्प  भी एक आदेश है़  और ऐसे आदेश दूसरे को  जादू  की तरह  बदल देंगे ।  हाँ  इस में समय लग सकता हैं , परंतु विजय  आप की ही होगी ।

तर्क,  संदेह या अविश्वास यदि मन में हो तो दूसरे का प्रभाव/आदेश  प्राय  निरर्थक  चला जाता  है । 

ईथर तत्व में रेडियो तरंगें हर जगह गूंजती  रहती है परंतु सुनाई  वहां   देगी  जहां  रेडियो यंत्र लगा हो । 

इसी तरह  हर व्यक्ति का प्रभाव  सदा एक सा होते हुये भी  उसे ग्रहण  वही करता है जिन का मन उसे ग्रहण  करने योग्य होता है   अर्थात जो व्यक्ति हमें पसंद नहीं उसकी हम कोई बात नहीं मानते । 

संसार मन की शक्ति से चलता है । 

आंतरिक  मन बहुत  शक्तिशाली है ।  इस मन में प्रचंड शक्ति है । इस की शक्ति से एक व्यक्ति  पूरे  विश्व को बदल सकता है़ । सिर्फ विघ्न बाहरी मन है़    जो कि  तर्क करता है संशय करता  है । 

आंतरिक  मन को  कार्य  करने के लिये आदेश की जरूरत होती है  यह आदेश बाहरी  मन से मिलता है ।   बाहरी  मन जल्दी से आदेश नहीं देता । 

 यंहा  बैठे बैठे देख सकते है कि  ब्रह्मापुरी,   विष्णुपुरी,  शंकर पूरी और परमधाम में क्या हो रहा  है ।  किसी भी ग्रह की गतिविधि देख सकते है ।  सिर्फ बाहरी मन  आदेश नहीं  देता,  संशय पैदा करता है,    ऐसा कैसे हो सकता है़ । 

किसी तरह  बाहरी  मन को  नियंत्रित कर लिया  जाये  तो आंतरिक  मन से हम जो चाहें  करवा सकतेहैं । 

राजयोग के अभ्यास से बाहरी मन नियंत्रण मेंं आ जाता है़ ।
ओम शान्ति..  

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