शक्तिपात अर्थात अपनी शक्ति का हस्तांतरण करना

शक्तिपात

शक्ति क्या है


शक्तिपात अर्थात अपनी शक्ति का हस्तांतरण करना ।

-अगर हमारे पास  पदार्थ है तो

-हम दूसरों को भोजन कराते  हैं ।  लंगर चलाते  है । दूसरों को कपड़े दान  करते है ।   जरूरत मंदो को हर माह  कुछ ना कुछ  पदार्थ दान  करते रहते है ।

- यह एक प्रकार का शक्तिपात  है ।

-हम जिस भी धार्मिक  संस्था से जुड़े होते है,  उसको तन, मन और धन से यथा शक्ति सहयोग देते है ।

-यह सहयोग भी एक शक्तिपात  है ।

- अगर हमारे पास  धन है तो हम स्व इच्छा से स्कूल ,  कॉलेज,  यूनिवर्सिटी और फ्री हस्पताल खोल देते है या गरीब विद्यार्थियों की आर्थिक मदद करते है।

-  यह  भी शक्तिपात  है ।

-हम गरीब लोगों को अपना मकान,  प्लाट,  कार ,  स्कूटर,  साइकल  आदि दान  दे देते है तो यह भी शक्तिपात  है ।

-जब जब   प्राकृति  की तरफ से कोई  आपदा  आती है तो हम मानवता की भलाई के लिये आगे आते है और बिना स्वार्थ  सहयोग देते है ।

- यह सहयोग भी शक्तिपात  है ।

-स्थूल पदार्थों से जो हम दूसरों को सहयोग देते है यह पहले   स्तर का शक्तिपात  है ।

- अगर यह ना हो तो समाज  नष्ट हो जायेगा ।

-दूसरे स्तर का शक्तिपात  है लोगों को रोजी रोटी कमाने की कला सिखाना ।

-हर व्यक्ति में कोई न  कोई कला होती है ।  संगीत कला,  पाक कला  उपचार कला,  इंजिनियरिंग की कला,  टीचिंग की कला अर्थात आप गायक है,  अच्छे कुक है,   इंजिनियर है,  अच्छे मेकेनिक है,  अच्छे डांसर है,  अच्छे पहलवान है,  अच्छे कोच है,  वकील है,  शिक्षक  है,  किसान  है,  प्रॉपर्टी डीलर है,  प्रचारक है ।  हम अपनी यह कला दूसरों को सिखा कर उन्हें  रोजी रोटी के लायक बनाते है ।  यह दूसरी तरह  का शक्तिपात  है ।

-हम सक्षम है और लोगों को   रोजगार देते है ।  घर में ,  दुकान में ,  फेक्टरी  में लोगों को रोजगार देते है ।  यह भी शक्तिपात  है ।

-हम मेहनत कर के  अच्छी पढ़ाई से सरकार  में उंच नौकरी आई  ए  एस या आई पी एस बन जाते  है तो सरकार  हमें बहुत  सारी शक्तिया  दे देती है ।

-इसे भी शक्तिपात  कह सकते   हैं ।

-हम समज सेवा करते करते पार्षद,  महापौर,  एम एल ए,  एम पी,  - मंत्री, मुख्यमंत्री,  मंत्री,  प्रधान मंत्री  और राष्ट्रपति बन जातें  है ।  इस से हमें अथाह शक्तियां  मिल जाती  है ।

-  ये भी शक्तिपात  कहते  है ।

-पवित्रता,  योग साधना  और सेवा करते करते जब हम आंतरिक रूप से योग्य बन जाते  है  तो ईश्वरीय शक्तियों से सम्पन्न  महापुरुष या भगवान  हमें अपनी शक्तियां  दे देते है ।

-असल में यही वास्तविक शक्ति पात  है । जिसका बहुत  महिमा मंडन है ।

-✋🏻 *शक्तिपात*  ( 3 )


- स्वामी राम  कृष्ण  परमहंस ने स्वामी  विवेवकानन्द को दिव्य  शक्तियां  दी, जिस से वे विश्व प्रसिद्ध  हो गये  ।

- लोग गुरूओं  से  ऐसा  ही दिव्य शक्तिपात  चाहते है

-ये  शक्तियां  प्रत्येक व्यक्ति प्राप्त  कर सकता है ।  परंतु उसके लिये 'अपनी योग्यता सिद्व करनी होती है ।

-शक्तिपात  की योग्यता  अर्थात दातापन  की भावना को विकसित करना ।

-हरेक मनुष्य में दातापन की कुछ न कुछ  भावना रहती ही  है ।

-प्रत्येक व्यक्ति अपने सम्पर्क में आने वाले मनुष्यों को  हर क्षण या तो कुछ  दे  रहा  है या  ले  रहा  है ।

-हमें हर पल  मन द्वारा,  मुख द्वारा,  आंखों द्वरा और स्पर्श द्वारा  विश्व का कल्याण करना है बस यही योग्यता  सिद्व करनी है ।

-आप सब महसूस करते है जब हम किसी से मिलते है तो हम उसे प्रभावित करते  है या उससे प्रभावित  हो रहे होते है ।

-यह प्रभाव  जब अच्छाई  के लिये प्रेरित करता है तो  शक्तिपात  है ।

-जब हम किसी से मिलते हैंं  तो हम उसके बारे  सोचते है और वह हमारे बारे सोचता है ।

- जेसे ही हम किसी के बारे सोचते है तो हमारा सूक्ष्म बल उनको जाता है । यदि हम कल्याणकारी  सोचते है तो वह व्यक्ति शक्तिवान  बनता  है  । अगर बुरा सोचते है तो वह आत्मा  श्रापित  होती है ।

-हमें मन द्वारा  सदा दूसरों का कल्याण करना है ।

-यही शक्तिपात  है ।

-आँखो से सूक्ष्म प्रकाश निकलता है, जिसमे मन की अच्छी   व  बुरी शक्ति भरी होती है ।

-किसी को  भी देखते है या आइ  कनटेक्ट  करते है उसमे हमारे विचारो की शक्ति चली जाती  है ।

-हमें सदैव आंखों द्वारा  दूसरों का कल्याण करना है ।

-यही शक्तिपात है ।

- हम जो  बोल बोलते है उनमे मन की शक्ति भरी होती है  तथा  वह शक्ति सुनने वाले  व्यक्ति /व्यक्तियों  में चली जाती है

- हमें सदा मधुर बोल बोलने है ।

-  यही शक्तिपात  है ।

-हमारे हाथो की उँगलियों  के पोरों से शक्ति प्रवाहित होती रहती है । जैसे  ही  हम किसी को आशीर्वाद देते है,  तो सूक्ष्म विद्युत दूसरे व्यक्ति में जाती  है ।

-   ये भी शक्तिपात है  ।

- हमें  अपने को सम्पन्न बनाना  है ।
ओम शान्ति.. 

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