क्या आप जानते है मन में विचार कहां से आते है?

 क्या आप जानते है मन में विचार कहां से आते है?

Man me vichar kaha se aate h

✼ जो कुछ भी हम करते है, सोचते है, बोलते है, पढ़ते है या कोई हमारे बारे बोलता, सोचता है वह सब डायरेक्ट हमारे दिमाग अर्थात आत्मा में स्थित संस्कार शक्ति में सम्बन्धित केन्द्रों में जा कर रेकोर्ड हो जाता है। जब जरूरत होती है यही हमारे विचार के रुप में प्रकट होता है।

✼ जब हम नींद में होते हैं या कोई व्यक्ति कोमा में होता है तब भी हमारे बारे में कोई व्यक्ति विश्व के किसी कोने में ज़रा सा भी विचार करता है वह हमे प्राप्त होता है और सम्बन्धित केन्द्र में जा कर रेकोर्ड हो जाता है। जब जागृत होते है तो यही विचार बन मन में आने लगते है।

✼ संस्कारो में अच्छी वा बुरी सब प्रकार की सूचना भरी हुई है। इन संस्कारो का डायरेक्ट कनेक्शन हमारे चेतन मन से है। वह मन में संकल्प के रुप में उठती रहती है। मन को अच्छे बुरे का कुछ पता नहीं होता बस विचार आते रहते है।

✼ बुद्धि रूपी शक्ति मन के हर संकल्प वा योजना को चेक करती है और जो सही लगता है वही मन को करने के लिये कहती है।

✼ बुद्धि से फाइनल होने के बाद संकल्प हमारी आंखो में आते है। आंखो से पूरे चेहरे में आते है, चेहरे में वैसी प्रति क्रिया होती है और चेहरे की मांसपेशीयो से शरीर के अलग अलग हिस्सों को कर्म की प्रेरणा मिलती है और कर्मइंद्रियां उसी अनुसार एक्शन करती है।

✼ मन में गुस्सा आने पर चेहरा तमतमा उठता है और उस के बाद हमारे हाथ की मुठीया भींच उठती है दूसरो पर आक्रमण करने के लिये।

✼ मन में विचार कहां से आते है। संसार में सिर्फ इतना जानते है कि अन्दर से आते है या कह देते हैं कि अवचेतन मन से आते है। विचार जो मन में उठते है वह वास्तव में सब संस्कार रूपी सूक्ष्म शक्ति में स्थित रेकॉर्डिंग केन्द्रों से आते है।

✼ जब हम किसी व्यक्ति को सुनते है या बात कर रहे होते है तो उस समय एक तो उसके द्वारा बोला गया हर बोल और संकल्प उसी रुप में रेकोर्ड हो रहा होता है। दूसरा वह जो बोल रहा है उसे हम बुधि द्वारा परख रहे होते है और हमे उसकी जो बात जंचती है वह भी सम्बन्धित केन्द्र में रेकोर्ड हो रही होती है।

✼ उसकी जो बात नहीं जंची, उसका उतर क्या देंगे, अन्दर ही अन्दर बुधि द्वारा सोच रहे होते है, और यह जो उतर सोच रहे होते है, वह भी रेकोर्ड हो रहा है। प्राकृति नियम से काम करती है।

✼ कोई आवाज़ कहीँ से भी आये, चाहे सामने से, चाहे पीछे से, चाहे ऊपर से, चाहे पताल से आये, चाहे आकाश से आये परंतु उसे सुनने का एक ही रास्ता है वह है कान। हम सिर्फ कानो से ही सुनेंगे चाहे सोये हो, चाहे बैठे हो, चाहे उल्टे लटके हो।

✼ ऐसा ही कोई भी विचार, कहीं का हो, कैसा भी हो, चाहे अवचेतन मन का हो, वह पहले हमारे संस्कारो में रेकोर्ड होगा, तब मन बुधि और शरीर उसी अनुसार एक्टिव होते है।

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