शक्तिपात
-जब हम किसी से मिलते हैंं तो हम उसके बारे सोचते है और वह हमारे बारे सोचता है ।
- जेसे ही हम किसी के बारे सोचते है तो हमारा सूक्ष्म बल उनको जाता है । यदि हम कल्याणकारी सोचते है तो वह व्यक्ति शक्तिवान बनता है । अगर बुरा सोचते है तो वह आत्मा श्रापित होती है ।
-हमें मन द्वारा सदा दूसरों का कल्याण करना है ।
-यही शक्तिपात है ।
-आँखो से सूक्ष्म प्रकाश निकलता है, जिसमे मन की अच्छी व बुरी शक्ति भरी होती है ।
-किसी को भी देखते है या आइ कनटेक्ट करते है उसमे हमारे विचारो की शक्ति चली जाती है ।
-हमें सदैव आंखों द्वारा दूसरों का कल्याण करना है ।
-यही शक्तिपात है ।
- हम जो बोल बोलते है उनमे मन की शक्ति भरी होती है तथा वह शक्ति सुनने वाले व्यक्ति /व्यक्तियों में चली जाती है ।
- हमें सदा मधुर बोल बोलने है ।
- यही शक्तिपात है ।
-हमारे हाथो की उँगलियों के पोरों से शक्ति प्रवाहित होती रहती है । जैसे ही हम किसी को आशीर्वाद देते है, तो सूक्ष्म विद्युत दूसरे व्यक्ति में जाती है ।
- ये भी शक्तिपात है ।
- हमें अपने को सम्पन्न बनाना है ।
-कई बार हम अपनी भावनाओं को दबा देते हैं । हम मन मार कर रह जाते है । कुछ बोल नहीं पाते ।
-वह भावना शरीर के किसी भाग में अटक जाती है और उस जगह विद्युत शक्ति का प्रवाह रुक जाता है । वहां से खून कम जाने लगता है । वहीँ पर बीमारी पैदा हो जाती है ।
-अपनी हथेली को उल्टा कर के पीड़ित के अंग से थोड़ा ऊपर रखें । हथेली के निचले भाग, हथेली के बीचों बीच बिंदु परमात्मा पर ध्यान लगाये । थोड़ी देर में झन झन या गर्मी महसूस होगी । यही शक्तिपात है । ऐसा हर रोज करते रहने से रोग ठीक हो जायेगा ।
-रेकी द्वारा उपचार करने का यही आधार है ।
-रेकी अर्थात रोगी के ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने की तीव्र भावना ।
-सारी शक्ति हमारे विचारों में ही है ।
टिप
-दुनिया को पलट देने का जो दावा करते हैं, वह सिद्वियो से नहीं वास्तव में विचारों से ही है ।-आप की नीयत, आप का ईमान, आप का व्यक्तित्व, आप का चिंतन, आप का चरित्र जिस स्तर का है, उसे बदल दें ।
-अभी तो मन पर ऐसी छाप है । अपने को शरीर मानते है । छोटा आदमी, बीमार आदमी, कंगाल आदमी या अमीर आदमी मानते हैं ।
-असल में हम आत्मा है । आत्मा ना मानने से सारा गुड गोबर हो रहा है ।
-अगर आप के शब्दों में करुणा, पराक्रम और शौर्य जैसे गुण आ गये हैं तो यह शक्तिपात है ।
-अपने प्रति अधिक प्रेम और सम्मान उपजे तो यह शक्तिपात का चिन्ह है ।
-स्वाभाविक रूप से अपने संगी साथियों के प्रति प्रेम उपजे तो यह शक्तिपात की निशानी है ।
- भगवान को याद करने से शक्तिपात की पहली निशानी यह है कि मनुष्य की आवाज में मिठास आ जाता है । तोतलापन आ जाता है । जो भी उसे सुनता है वह बदलता जाता है ।
-शक्तिपात अर्थात मनुष्य की आंखों में रूहानियत बढ़ जाती है । श्री गुरुनानक देव की तरह या ब्रह्मा बाबा की तरह उसकी आंखों में खुमारी आ जाती है । जिस पर भी वह दृष्टि डालेगा वह व्यक्ति बदलता जायेगा ।
ओम शान्ति..
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