शक्तिपात - भाग -2

शक्तिपात


-जब हम किसी से मिलते हैंं  तो हम उसके बारे  सोचते है और वह हमारे बारे सोचता है ।

- जेसे ही हम किसी के बारे सोचते है तो हमारा सूक्ष्म बल उनको जाता है । यदि हम कल्याणकारी  सोचते है तो वह व्यक्ति शक्तिवान  बनता  है  । अगर बुरा सोचते है तो वह आत्मा  श्रापित  होती है ।

-हमें मन द्वारा  सदा दूसरों का कल्याण करना है ।

-यही शक्तिपात  है ।

-आँखो से सूक्ष्म प्रकाश निकलता है, जिसमे मन की अच्छी   व  बुरी शक्ति भरी होती है ।

-किसी को  भी देखते है या आइ  कनटेक्ट  करते है उसमे हमारे विचारो की शक्ति चली जाती  है ।

-हमें सदैव आंखों द्वारा  दूसरों का कल्याण करना है ।

-यही शक्तिपात है ।

- हम जो  बोल बोलते है उनमे मन की शक्ति भरी होती है  तथा  वह शक्ति सुनने वाले  व्यक्ति /व्यक्तियों  में चली जाती है ।

- हमें सदा मधुर बोल बोलने है ।

-  यही शक्तिपात  है ।

-हमारे हाथो की उँगलियों  के पोरों से शक्ति प्रवाहित होती रहती है । जैसे  ही  हम किसी को आशीर्वाद देते है,  तो सूक्ष्म विद्युत दूसरे व्यक्ति में जाती  है ।


-   ये भी शक्तिपात है  ।

- हमें  अपने को सम्पन्न बनाना  है ।

-कई  बार  हम अपनी भावनाओं को दबा देते  हैं ।  हम मन मार  कर रह  जाते  है ।  कुछ  बोल नहीं पाते  ।

-वह भावना शरीर के किसी भाग  में अटक  जाती  है और उस जगह विद्युत शक्ति का प्रवाह रुक जाता  है ।  वहां  से खून कम जाने  लगता  है ।  वहीँ  पर बीमारी पैदा हो जाती  है ।

-अपनी हथेली को उल्टा कर के पीड़ित के अंग से थोड़ा  ऊपर रखें ।  हथेली के निचले भाग,  हथेली के बीचों  बीच बिंदु परमात्मा  पर ध्यान लगाये ।  थोड़ी देर में झन झन या गर्मी महसूस होगी । यही शक्तिपात  है ।  ऐसा  हर रोज करते रहने से  रोग ठीक हो  जायेगा ।

-रेकी द्वारा  उपचार करने का यही आधार  है ।

-रेकी अर्थात रोगी के ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करने की तीव्र भावना ।

-सारी शक्ति हमारे  विचारों में ही है ।

टिप 

-दुनिया  को पलट देने का जो दावा करते हैं,  वह  सिद्वियो से नहीं वास्तव में विचारों  से ही है ।

-आप की नीयत,   आप का ईमान,  आप का व्यक्तित्व,  आप का चिंतन,  आप का  चरित्र  जिस स्तर का है,  उसे बदल दें ।

-अभी तो मन पर ऐसी  छाप  है ।  अपने को शरीर मानते है ।  छोटा  आदमी,  बीमार आदमी, कंगाल आदमी या अमीर  आदमी मानते हैं ।

-असल में हम आत्मा है ।  आत्मा ना मानने  से सारा  गुड गोबर हो रहा  है ।

-अगर आप के शब्दों में करुणा,  पराक्रम  और शौर्य जैसे गुण आ गये हैं तो  यह शक्तिपात  है ।

-अपने प्रति अधिक प्रेम और सम्मान  उपजे तो यह शक्तिपात  का चिन्ह है ।

-स्वाभाविक रूप से अपने संगी साथियों के प्रति प्रेम उपजे तो यह शक्तिपात  की निशानी है ।

- भगवान को याद करने से शक्तिपात की  पहली  निशानी यह है  कि मनुष्य की आवाज  में मिठास  आ जाता  है ।  तोतलापन आ जाता  है ।  जो भी उसे सुनता  है वह बदलता  जाता  है ।

-शक्तिपात  अर्थात मनुष्य की आंखों में रूहानियत बढ़ जाती  है ।  श्री गुरुनानक देव की तरह या ब्रह्मा  बाबा  की तरह  उसकी आंखों में खुमारी आ जाती  है ।  जिस पर भी वह दृष्टि  डालेगा वह व्यक्ति  बदलता जायेगा ।
ओम शान्ति.. 

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