विशुद्ध चक्र
-सभी मनुष्य जाने अनजाने में , कभी न कभी आकाश की ओर उंगली करते है, और कहते है यह उसकी मेहरबानी है । वास्तव में हमारा अस्तित्व ही आकाश के कारण है ।
-आकाश से हमें धूप मिलती है । धूप से हमें विटामिन ,और ऊर्जा मिलती है । अगर सूरज न निकले ,तो सारा संसार बर्फ बन जायेगा ।
-आकाश से हमें हवा मिलती है । हवा से ऑक्सिजन मिलती है । जिस के बगैर हम जिंदा नहीं रह सकते ।
-आकाश से हमें बरसात के रुप में पानी मिलता है । हमारे शरीर में 70% पानी है । अतः हम पानी के बिना भी नहीं रह सकते ।
-आकाश से हमें फसले, और पेड़ पौधे मिलते है । पौधों और पेड़ों से हमें भोजन मिलता है । भोजन जीवन की पहली जरूरत है । इसलिये हम फसलें आदि उगाते है । इनके लिये पानी हवा ,और धूप तीनो ज़रूरी है । जो कि हमें आकाश से मिलते है ।
-हमें आकाश से जीवनी विद्युत प्राप्त होती है, जिसे प्राण कहते है । यह तत्व आक्सीजन के अन्दर होता है, जो कि आकाश वा भगवान से हमें प्राप्त होता है ।
-आकाश में ईथर नाम का तत्व है, जो ध्वनि का सुचालक है, जिस कारण हम अपना संदेश विश्व के किसी भी कोने में भेज सकते है ।
-आकाश में ही एक स्थान है ,जहां रोकेट आदि बिना किसी बाहरी ऊर्जा के, घूमते रहते है । इस स्थान को स्पेस कहते है । इसी स्पेस के कारण आज का विज्ञान बहुत उन्नति कर पाया है ।
-बहुत सारी गैसीज जो मानवता के लिये ज़रूरी है ,वह आकाश से ही प्राप्त होती है ।
-जब बच्चे पूर्वजों के बारे पूछते है ,तो हम आकाश में सितारे दिखाते है, कि वह वहां है ।
-जब कभी हमारे नज़दीकी की मृत्यु होती है ,तो हम कहते है, कि वह आकाश पर भगवान के पास चला गया है ।
-सार में कहे तो सारा संसार ही आकाश के कारण है । इसी कारण सभी लोग ऊपर की ओर इशारा करते रहते है ।
-इसके इलावा गहरा कारण यह है ,कि जो वस्तु जिस चीज़ से बनी होती है, वह उसी की ओर खींचती चली जाती है ।
-अग्नि ऊपर की ओर उठती है, क्योंकि सूर्य ऊपर है ,और अग्नि सूर्य का ही रुप है । पानी नीचे की ओर बहता है, क्योंकि वह समुन्द्र में मिलना चाहता है । ऐसे ही आत्मा परमात्मा की संतान होने के कारण ,आकाश की ओर देखती है ,क्योंकि भगवान परमधाम निवासी है ।
-जिनका योग नहीं लगता, वह अगर मन से नीला आकाश देखते रहे, तो योग लगने लगेगा । क्योंकि ऐसे देखने से मन कीं एनर्जी ऊपर उठ जाती है ,जैसे हम योग में करते है, और सहज ही अनुभव होने लगता है ।
-जो लोग भगवान को याद नहीं करते ,वह दिन में हर घंटे बाद या जब जब कोई भी रुकावट आयें वह ऊपर मुंह कर के आकाश की तरफ़ देखे, और कहे आप की प्रेरणा क्या है । देखना आप हर समस्या पर विजयी होंग।
-आकाश तत्व निराकार है । परंतु सत्य है । इस तत्व का कभी नाश नहीं होता । यह अमर है । ऐसे ही भगवान भी निराकार है ,परंतु सत्य है और अमर है ।आकाश एक बड़ा शून्य है । ऐसे ही भगवान भी शून्य है । भगवान भी एक तत्व है, जो कि आकाश से भी सूक्ष्म है ।
-हम आकाश तत्व का सेवन कर के, अमर बन सकते है, शारीरिक, मानसिक ,और आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते है ।
-शरीर के अन्दर आकाश तत्व के खास स्थान है सिर, गला, दिल, पेट और कमर ।
-जिस तरह आकाश हमारे आस पास, ऊपर नीचे है, इसी तरह वह हमारे अन्दर भी है । चमड़ी के छेदों में या जहां खाली स्थान है, वहां आकाश है ।
-आकाश तत्व आरोग्य सम्राट है । आकाश में सूक्ष्म चुम्बकीय ,तथा विद्युत शक्ति ,और आक्सीजन के इलावा पेड़ पौधों की सूक्ष्म सुगंध रहती है, जो हमारे शरीर को शक्तिशाली, और निरोगी बनाती रहती है । यही कारण है खेतों वा जंगलों में रहने वाले जीव, और मनुष्य तंदरुस्त रहते है । तंग जगह पर रहने वाले लोग बीमार रहते है ।
-अगर हम भोजन कुछ कम करेगें ,तो पेट में जो खाली जगह बचेगी वह आकाश तत्व से भर जायेगी । अगर हम हफ्ते में एक दिन उपवास करें, या दिन में सिर्फ एक बार भोजन करें ,तो खाली जगह आकाश तत्व से भर जायेगी, और वह अन्न की पूर्ति करेगा ।
-जो लोग बीमार रहते है ,अगर वह दिन में एक बार भोजन करें ,और बाकी सारा दिन जब भी भूख लगे थोड़ा सा लगभग 100 ग्राम, गाय का दूध, या दही ले लिया करें, या हरी पतेदार सब्जियों की सिर्फ तरी लिया करें ,तो उसका कैसा भी रोग हो वह ठीक हो जायेगा । शुगर भी ठीक हो जायेगी । हां जो इंसुलिन के टीके लगाते है, वह अपनी शुगर के हिसाब से खाना लेते रहे , और डॉक्टर की राय से खाना लें, और वह हरी सब्जियों की तरी ज्यादा प्रयोग करें ।
-इसके पीछे विज्ञान यह है ,कि गाय दुःख में भी सकारात्मक तरंगे मन से देती है। यही तरंगे उसके दूध में होती है । गाय का दूध कोशिकाओ का पुनर्निर्माण करता है । हरे पते वाली सब्जियों में आकाश अर्थात जल, वायु ,और सूर्य का प्रकाश अधिक होता है, जो शरीर के लिये बहुत फायदेमंद है ।
-आकाश तत्व के असंतुलन से मिरगी, उन्माद, पागलपन, सनक, अनिंद्रा, शकी दिमाग, घबराहट, बुरे सपने, गूंगापन, बहरापन, विस्मृति आदि की शिकायतें पैदा होती है ।
-ऐसा कोई भी लक्षण आयें तो उन लोगो को भगवान को नीले आकाश में, बिंदू रुप में याद करना चाहिये ,या अपने इष्ट को नीले आकाश पर देखा करें, और उसके गुण गाये । जो लोग भगवान को नहीं मानते, वह लोग सिर्फ बाहर बैठ कर दिन में 4 - 5 बार कम से कम 10 - 10 मिनट, नीले आकाश को आंखो से देखा करें , और कहें आप की दया से हम यहां है, आप की दया से हम सांस ले रहे है ।
आप की दया से हमें धूप मिल रही है, हवा मिल रही है । इस तरह आकाश तत्व की कमी पूरी हो जायेगी, और आप खुशहाल हो जायेगे । सिर्फ नीला आकाश देखना है । राजयोगी भी ऐसा कर सकते है । विशेष रुप से तब जब योग ना लग रहा हो, तो आंखे ऊपर कर नीले आकाश को देखे ।
- आकाश एक सूक्ष्म पदार्थ है, जो हर पीले एवम र्ठोस पदार्थ में, कूछ मात्रा में व्याप्त है । इस तत्व को ईथर कहते है । रेडीयो पर जो दूर दूर से ध्वनियां आती है, वे इस ईथर द्वारा ही आती हैं ।
-जितने शब्द हैं, वह हम आकाश (ईथर ) के कारण सुनते हैं । अगर आकाश न हो, तो हम एक दूसरे की बात नहीं सुन सकेंगे । सिर्फ मुंह हिलते हुये दिखाई देगें ।
- हमारे बोल विद्युत तरंगों में बदल कर,विश्व के किसी भी कोने में पहुंच सकते है ।
-हमारे विचार विद्युत तरंगों की भांति, आकाश में फैल जाते हैं, और कभी नष्ट नहीं होते ।
-थोड़ी थोड़ी भाप उड़कर बादल बन जाती है । ऐसे ही एक प्रकार के विचार, अनेक लोगो के दिमाग से निकल कर , एक बादल का रुप बना लेते हैं, और इधर उधर तैरते रहते हैं ।
-कोई व्यक्ति एक समय क्रोध, चोरी वा मरने के विचार कर रहा है, तो अनेकों व्यक्तियों द्वारा वैसे ही विचार , भूतकाल या वर्तमान में किये गये उनके विचार, बादल बन कर उस व्यक्ति के पास पहुंच जाते हैं, तथा वह व्यक्ति जो गलत सोच रहा है, उस से सम्बन्धित नये नये आइडिया प्राप्त करने लगता है ।
-यदि कोई अच्छा सोचता है, तो उसके विचार आकाश में बादलो की तरह उड़ते हुये, उन विचारो से जा मिलते है, जो उस जैसे महान आत्माओ ने किये थे । वह व्यक्ति जो अच्छा सोच रहा है, नई नई प्रेरणाये प्राप्त करने लगता है । उसे अधिक उत्साह प्राप्त होता है ।
-यदि कोई व्यक्ति अपने रोगो, अपने विरोधों, अपनी निराशा, भय, अभावों , या भूत प्रेतों को देखने लगे, तो उसके यह विचार उन लोगो के विचारो से जा मिलते है, जिन्होंने ऐसे विचार भूतकाल में किये थे, जिस के परिणाम स्वरूप वह व्यक्ति घबरा जाता है, और थोड़े से रोग से ही उसकी मृत्यु हो जाती है ।
न्यूटन ने कहा था हर एक्शन का बराबर रीएक्शन होता है ,परंतु आकाश का नियम यह है, कि हर संकल्प और कर्म का रीएक्शन बढ़ता जाता है, यह पहले बराबर रीएकशन करता है, फ़िर डबल और इसी तरह 100 गुणा, 1000 गुणा, वा लाख गुणा, बनता जाता है ।
-अगर हम सोचते है, मैं शांत हूं ,तो इस का बराबर का बल लौट कर हमें हिट करता है, अगर हम दो व्यक्तियों के प्रति सोचते है, आप शांत हो तो यह दो गुणी बल लौटता है । ऐसे हम 4, 5, 6, 10, 100,1000 व्यक्तियों के बारे सोचते है, तो यह बल इसी अनुपात में बढ़ता जाता है । अगर हम भगवान को याद करते हैं, तो यह बल लाख, दो या ज्यादा लाख होकर लौटता है । ऐसे ही बुरे विचारो की शक्ति भी लौटती है । यह नियम काम कर रहा है, चाहे हम जाने चाहे ना जाने ।
-अगर हम अपने जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं, तो आकाश के उपरोक्त नियम को मान कर चलना होगा, और वह यह कि आप चेक करो इस समय आप के विचार कैसे हैं । तुरंत नकारात्मक विचार के बदले, कोई सकारात्मक विचार लायें, और वह मन में रिपीट करते रहे । आप को तुरंत खुशी आयेगी, और परिणाम सुंदर होंगे ।
ओम शांति..
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